“तू” चल अकेली -डॉ अनुपमा श्रीवास्तवा

“तू”चल अकेली वज़ूद है”तू”इस सृष्टि की दुनियां की है अबूझ”पहेली” , समझेगा कौन तेरे मन को छोड़ दे सब”तू”चल अकेली । बंट गई है रिश्तों में कितने कब बन पाई…

नारी की अंतर्कथा – लवली कुमारी

नारी की अंतर्कथा हां हां मैं नारी हूं, पहचान नहीं मिटने दूंगी। तप साधिका जैसी अनुसुइया विषपान कर गई मीराबाई यमराज से लड़ सतीत्व का बोध कराया सावित्री ने इतिहास…

मैं हूँ नारी-मधु कुमारी

मैं हूँ नारी मैं हूँ नारी एक धधकती सी चिंगारी प्रगति पथ की हूँ अधिकारी सृष्टि की सुंदर कृति हमारी मैं जग जननी,मैं पालनहारी मैं हूँ नारी……… हमने अपनी शक्ति…