छंद रचना को गहूँ-राम किशोर पाठक 

Ram Kishore Pathak

विघ्न हर्ता देव हो तुम, कष्ट अपना मैं कहूँ।

आज तुमसे आस मुझको, छंद रचना को गहूँ।।

शब्द लाऊँ मैं कहाँ से, शिल्प कैसे मैं रचूँ।

सत्य का बस हो सृजन अब, दोष गायन से बचूँ।।

बुद्धि कर्ता आप सुन लो, मैं भँवर में क्यों रहूँ।

आज तुमसे आस मुझको, छंद रचना को गहूँ।।०१।।

जानता कुछ भी नहीं पर, लेखनी ले चल पड़ा।

कर रहा चिंतन सदा ही, सामने तेरे खड़ा।।

भावना को शब्द देकर, काव्य रस गढ़ना चहूँ।

आज तुमसे आस मुझको, छंद रचना को गहूँ।।०२।।

भाव के ही पुष्प लेकर, शीश चरणों में दिया।

मान रखना हे गजानन, आपसे आशा किया।।

आपके बल चल दिया मैं, घात दिल पर क्यों सहूँ।

आज तुमसे आस मुझको, छंद रचना को गहूँ।।०३।।

गीतकार:- राम किशोर पाठक 

प्रधान शिक्षक 

प्राथमिक विद्यालय कालीगंज उत्तर टोला

बिहटा, पटना, बिहार।

संपर्क – 9835232978

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