आस्था न होगा कभी दूजा, ये है हमारा छठ का पूजा।
व्रतियों ने खुद को इस तप में भूंजा, इसलिए आज छठ पूजा विश्व में है गुंजा ।।
छत्तीस घण्टे का है ये हठ, जहाँ निर्जला उपवास रहकर करतें हैं सब व्रत ।
श्रद्धालुओं की भक्ति है ये छठ, जिसको करने में ना है कोई ढोंग, ना ही कोई शर्त ।।
बड़ा मजा आता था, जब बचपन में इस पर्व को करती थी मेरी नानी ।
नहाय – खाये से शुरू होती थी उनकी ये आस्था भरी कहानी ।।
खरना के दिन दाल -भात संग पकौड़िया भी हम खूब खाते ।
उसी शाम पूजन के बाद बनी गुड़ की खीर और पूड़ी की स्वाद हमें खूब हैं भाते ।।
फिर आती है प्रभाकर देव की शाम अरघ देने की बारी, घाटो पर उमड़ पड़ती है लोगों की भीड़ बहुत भारी ।
बड़े ही धैर्य से अडिग रहते है सारे पूजन करने वाले पूजारी, कलसूप दीप सजाये, नदी किनारे खड़े रहते हैं नर-नारी ।।
जब अगली सुबह अरघ की बारी आती, शारदा सिन्हा की मधुर गीत व्रती घाटों पर गाती ।
सुन कर होंठो पर मुस्कान है लाती , तभी ठंडी कोहरे भी हमसब को खूब मचलाती ।।
ना समझो तुम प्रिये इसे कोई अन्य पर्व, ये है बिहारियों का सबसे बड़ा गर्व ।
आओ मिल कर करें हम ये प्रण, सालों भर ऐसे ही सफाई रखे हम सर्व ।।
आस्था न होगा कभी दूजा, ये है हमारा छठ का पूजा।
व्रतियों ने खुद को इस तप में भूंजा, इसलिए आज छठ पूजा विश्व में है गुंजा ।।
लेखक – रवि कुमार
विद्यालय – कन्या उo मo विo, मसाढ़ ( उदवंतनगर, भोजपुर )
