ko परम सत्ता पर विश्वास हो चिंता की परिधि से हो पृथक सदचिंतन का विस्तार हो मलिन कराल ताप तिमिर से धवल शशि का दीदार हो। लौकिकता के अंतहीन क्षितिज से पारलौकिक शक्ति का संधान हो भीड़ के अशांत कोलाहल से निर्लिप्त एकांत गुंजन गान हो। मैं-तू की मोह निशा…
जीवन मुक्त जीवन की राह आसान नहीं है शोक क्षोभ संताप यहीं अन्तर्मन सुमधुर पराग प्रकीर्णित सुवासित शतदल मधुमास यहीं । अतीत के अनुभव हों आत्मसात कठिन दौर का लें संबल मुश्किलें हों अवसर में परिणत स्वर्णिम उपलब्धियाँ भर लें आंचल । परिवर्तन है जीवन की स्वीकृति शुभ कर्म के…
राष्ट्र धर्म क्षेत्रीयता की संकीर्णता के पार स्वार्थ परक नीति के उस पार भाषाई मनोवृत्ति से मुख मोड़कर अस्पृश्य तमिस्त्रा से रिश्ता तोड़कर भारत ज्योत्सना झिलमिलाना है आओ! हमें राष्ट्र धर्म निभाना है। माँ भारती की हम दिव्य संतान वैदिक ऋचा से पाया सदज्ञान मातृभूमि स्वर्ग से भी है महान…