गिरते दाँत और गाजर- अवनीश कुमार

नाना जी ने बोई गाजर

रोज सुबह पानी देते आकर।

राजू नाना से पूछा जाकर

नानू यह गाजर कब तक आएगा?

मेरा प्यारा कल्लू खरहा कब इसे खाएगा?

नाना जी बोले बड़े प्यार से

नाती! तुम्हारा दाँत जब गिर जाएगा,

कल्लू खरहा तब इसे खाएगा।

लेकिन नानू मेरे दाँत जब गिर जाएँगे

फिर मैं गाजर कैसे खा पाऊँगा ?

जब नए मजबूत दाँत तुम्हारे आएँगे

फिर तुम भी कल्लू खरहे की तरह

गाजर कुतर- कुतर कर खाओगे

लेकिन नानू आपके दाँत गिर पड़े हैं

आप कैसे खा पाएँगे ?

खेतों से खर निकालती नानी बोली

मैं बनाऊँगी गाजर का हलवा

फिर हम सब छक कर खाएँगे।

राजू प्रसन्न होकर बोला-

मेरा कल्लू खरहा भी खाएगा गाजर का हलवा

फिर हम सब मिलकर ताली बजाएँगे।

अवनीश कुमार
व्याख्याता
बिहार शिक्षा सेवा

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