हम अबला नहीं सबला हैं
सभ्यता है हमारी पहचान,
संस्कृति में रहना अपनी शान।
यही जीवन जीने की कला है,
हम अबला नहीं सबला हैं।
मन में जीतने की सदा इच्छा,
देती हूँ पग-पग पर सदा परीक्षा।
हम ऐसी मजबूत बला हैं,
हम अबला नहीं सबला हैं।
रखूॅं न मन में कभी भी हार,
जीतने की लालशा बरकरार।
जीवन में समझौते करती हूँ लगातार।
हम अबला नहीं सबला हैं।
सबका पाऊं मैं हमेशा दुलार,
सबको खुशियाँ दूॅं भरमार।
हमसे न किसी को टकरार,
हम अबला नहीं सबला हैं।
रहूँ सदा अपने स्वाभिमान,
पाऊँ सदा सबका सम्मान।
हम अबला नहीं सबला हैं।
मर्यादा में रहूँ शुबह से शाम,
अपने ईश्वर को करू प्रणाम।
हम अबला नहीं सबला हैं।
अपनी प्रतिभा को करूँ सलाम,
देश का सदा ऊँचा करुॅं नाम।
हम अबला नहीं सबला है।
अपनी प्रतिष्ठा, अपनी शान,
बढ़ाऊँ सदा परिवार का मान।
हम अबला नहीं सबला हैं।
देश में अमन की लाये पुकार,
रहें सादा जीवन उच्च विचार।
हम अबला नहीं सबला है।
हर क्षेत्र में आगे बढ़ते जाएंगे,
स्वालम्बी बन कर दिखाएंगे।
हम अबला नहीं सबला है।
घर-घरअलख हम जगाएंगे ,
शिक्षा हर बेटी का अधिकार बताएंगे।
हम अबला नहीं सबला हैं।
खुशी से जीने का सबका अधिकार,
जीने की इच्छा रखना है बरकरार।
हम अबला नहीं सबला हैं।
किसी के प्रति द्वेषता का न बुना कभी भी जाल,
हर आफत का सामना करूँगी बन महाकाल।
हम अबला नही सबला हैं।
ऊँची शिक्षा पाकर स्वावलंबी बन जाऊँगी,
ताकि किसी पर भी बोझ न बन पाऊॅंगी।
रीना कुमारी
पूर्णियाँ बिहार