संसार में आते ही शुरू होती है… इच्छा
बड़े बुजुर्गों,सगे-संबंधियों के बीच
पनपती है यह इच्छा…
समाज में जाकर फलती फूलती है यह इच्छा
भोग विलासिता को जन्म देती है यह इच्छा।
काम- क्रोध-मद-लोभ-मोह और मत्सर की जड़ है यह इच्छा।
राग द्वेष का भी मूल है यह इच्छा।
स्वयं का कल्याण का स्रोत है यह इच्छा।
परस्पर कल्याण का स्रोत है यह इच्छा।
जगत कल्याण का भी स्रोत है यह इच्छा।।
प्रस्तुति बैकुंठ बिहारी स्नातकोत्तर शिक्षक कंप्यूटर विज्ञान उच्चतर माध्यमिक विद्यालय सहोड़ा गद्दी कोशकीपुर
0 Likes
