इस माटी की शान बढाएँ
जलाकर स्वदेशी
सुगंधित गुलाल लगाएँ
पतंग उड़ाकर स्वदेशी
स्वाभिमान का तिरंगा फहराएँ
आओ! स्वदेशी अपनाएँ
इस माटी की शान बढाएँ ।
लाखों हाथों को काम मिलेगा
घर परिवार खुशहाल होगा
कोई न होगा भूखा प्यासा
सबकी पूरी होगी अभिलाषा
आओ! स्वदेशी अपनाएँ
इस माटी की शान बढाएँ ।
स्वदेशी हो जीवन शैली
तभी भरेगी वतन की थैली
वक्त की आज यही पुकार
खुशियाँ लौटेंगी अपने द्वार
आओ! स्वदेशी अपनाएँ
इस माटी की शान बढाएँ ।
संस्कृति अपनी, अपना संस्कार
स्वदेशी हो अपना संसार
स्वदेश प्रेम मे देख सराबोर
भागी थी फिरंगी सरकार
आओ! स्वदेशी अपनाएँँ
इस माटी की शान बढाएँ ।
विदेशी उत्पादों से पटा बाजार
बहुराष्ट्रीय कंपनी की भरमार
आओ! करे पुनर्विचार
हो बापू के स्वप्न साकार
आओ! स्वदेशी अपनाएँ
इस माटी की शान बढाएँ ।
दिलीप कुमार गुप्ता
प्रधानाध्यापक म.वि. कुआड़ी
अररिया, बिहार