कामयाबी
जीवन में वो मंजिल ही क्या,
जिसे पाना बहुत आसान हो।
छाले न पड़े पैरों में,
न जख्म के निशान हों।।
कामयाबी के वो सपने ही क्या,
आँखें सुजी, न हुई लाल हो।
जुनून हो बस कामयाबी की,
चाहे दिन हो या रात हो।।
वो जीत का मंजर ही क्या,
जिसका किया न इंतिजार हो।
आँसू न निकले आँखों से,
करे खुशी का इजहार जो।।
न लिखे सपने सैकत पर,
जो मिट जाए गर तूफान हो।
लिखा है मंजिल पाहन पर,
मिटता न कभी निशान जो।।
मिली वो पहचान ही क्या,
जिसे बतानी बार-बार हो।
चले पीछे-पीछे कारवां,
करे तुम्हारी जय-जयकार जो।।
स्वाति सौरभ
आदर्श मध्य विद्यालय मीरगंज,
आरा नगर, भोजपुर
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