सबके किस्मत मे नही होता
दादी की बनाई आचार चट करना
और फिर मुस्कुराकर उनके पीछे छिप जाना
सबके किस्मत मे नही होता
दादू के कंधे पर बैठकर कान्हा बन इतराना
और खुद को बड़ा बताना
सबके किस्मत मे नही होता
खेतों के टेड़े मेढे मेड़ पर दौड़ लगाना
और जन्माष्टमी पर
सबसे ऊँचे पेड़ पर झूला लगाकर झूलना
सबके किस्मत मे नही होता
टपकते छत से पानी को गिरते देखना
और दादी माँ की गोद से
चिपककर कहानी सुनाने को मचलना
सबके किस्मत मे नही होता
बरसात मे छतरी छोड़ भींगना
और बीमार पड़ जाने की प्रार्थना करना
और ब्रेड बिस्कुट मिल जाने की दुहाई करना
सबके किस्मत मे नही होता
बाबू जी का सिर पर हाथ फेरना
और कुछ न कहना और सब कुछ मिल जाना
सबके किस्मत मे नही होता
माँ के हाथ के तवे की गर्म रोटियां खाना
और भाई बहनों से हार-जीत लगाना
सबके किस्मत मे नही होता
आम के बगीचे मे जाना
और चोरी चोरी!
माली काका की नजरों से बचकर आम चुराना
सबके किस्मत मे नही होता
गर्मियों की छुट्टी मे नानी घर जाना
और अपनी शरारतों से
नानी की ममता का परीक्षा लेना
सबके किस्मत मे नही होता
नानी के बनाये बेसन के लड्डू चुराना
और फिर मुस्कुरा कर उनकी गोदी में बैठ जाना
सबके किस्मत मे नही होता
नाना जी के कंधे पर बैठ मेला जाना
और मेले से खूब खिलोनै लेने की जिद मे
अपना सारा दम लगाना
सबके किस्मत मे नही होता
काश!सबके बचपन मे यह हिस्सा होता
दुनिया इन्हें कितना मनभावन लगता!
लेखन व स्वर :-
अवनीश कुमार
बिहार शिक्षा सेवा
व्याख्याता
प्राथमिक शिक्षक शिक्षा महाविद्यालय विष्णुपुर, बेगूसराय