खेतों का है रंग सुनहरा।
जैसे सोना रहता बिखरा।।
फसल धान की है खेतों में।
श्रम का प्रतिफल है रेतों में।।
गर्व किसानों पर होता है।
बीज आस की जो बोता है।।
पेट भरे यह सालों सबका।
बहुत कठिन है जीवन जिसका।।
भारत सोने की है चिड़िया।
सदा कहा करती है दुनिया।।
खेत हमारे सोना उगले।
जिससे सभी व्यवस्था बदले।।
सर्दी, गर्मी, पावस झेले।
तब सजती फसलों के ठेले।।
मगर किसानों को दुख होता।
तब “पाठक” जी भर कर रोता।।
पालन सबका करने वाले।
विपदा सबकी हरने वाले।।
सभी किसानों की सुध लेना।
कष्ट मिटाकर सुविधा देना।।
सुखी बनें जब हलधर सारे।
तब बदलेंगे भाग्य हमारे।।
सबल तभी तो भारत होगा।
कोई कभी न आहत होगा।
रचयिता:- राम किशोर पाठक
प्रधान शिक्षक
प्राथमिक विद्यालय कालीगंज उत्तर टोला
बिहटा, पटना, बिहार।
संपर्क – 9835232978
