जय मां कूष्मांडा -डॉ स्नेहलता द्विवेदी आर्या

जय माँ कुष्मांडा🙏🌹

पुष्पों सी है मुस्कान तेरी,
माँ ईषत हास्य से जग जननी।
ब्रम्हाण्ड के उद्भव शान तेरी,
तू तप जप धात्री तू जननी।

पुष्पों सी है मुस्कान तेरी,
माँ ईषत हास्य से जग जननी।

कुष्मांडा ब्रम्ह स्वरूपिणी माँ,
तू शोक रोग सबकी हरनी।
हे शक्ति स्वरूपा ध्यान धरा,
हे अष्टभुजा संकट हरनी।

पुष्पों सी है मुस्कान तेरी,
माँ ईषत हास्य से जग जननी।

जब अँधियारा घनघोर हुआ,
नवजीवन तुमसे था जननी।
सब सत चित आंनद तुमसे है,
तुम सबके पातक की हरनी।

पुष्पों सी है मुस्कान तेरी,
माँ ईषत हास्य से जग जननी।

हे कलश सुमङ्गल पदम धरा,
हे शस्त्र अस्त्र सृष्टि करनी।
मैं कोटि कोटि प्रणाम करूँ,
हे मातु सुमंगल चित करनी।

पुष्पों सी है मुस्कान तेरी,
माँ ईषत हास्य से जग जननी।

डॉ. स्नेहलता द्विवेदी ‘आर्या’

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