मकर संक्रांति
आइये सब मिलजुलकर त्योहार है मनाइए,
घर आँगन हर जगह ख़ुशियाँ हैं फैलाइये।
रंग बिरंगे पतंगों की तरह छुए आसमान को,
कुछ ऐसा ही जतन आप भी कर जाइये।
सूर्य पहुँचे धनु से मकर में इस शुभ दिन,
मन में जोश उत्साह का रंग आप जमाइए।
गंगा में स्नान कर शुद्ध स्वच्छ बनें आप,
इस तरह आज के दिन विधान अपनाइए।
तिल गुड़ करके दान निभाएं सारे लोकाचार,
मुॅंगफली, गजक रेवड़ी मिल सभी खाइए।
दक्षिणायन से उत्तरायन पहुँचे सूर्य देव,
चलिये सब मिलकर संक्रांति मनाइए।
शीत का ताप घटे, सूर्यदेव तेजोमय बनें,
ठंड को चलें अब दूर आप भगाइये।
खेतों में फसल बढ़े, सरसों अब पकने लगे,
बसंत ऋतु के आगमन से खुश हो जाइए।
रूचिका
राजकीय उत्क्रमित मध्य विद्यालय तेनुआ, गुठनी सिवान बिहार
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