मोबाइल महिमा
नन्हा सा हूँ बड़े काम का,
गुणगान करते सब मेरे नाम का।
भेजता सबको आपकी पैगाम,
कोई नहीं है हमसे अंजान।
शहर हो या हो गाँव,
धूप हो या हो छाँव।
जहाँ चाह होगी तेरी,
वहीं पहुँच होगी मेरी।
नन्हा सा हूँ बड़े काम का,
गुणगान करते सब मेरे नाम का।
आज बंद है विद्यालय, कार्यालय
खुला हुआ है मेरा आलय।
घर से काम का विकल्प दिया,
डिजिटल इंडिया का संकल्प लिया।
मेरी चाहत को तो समझो,
गलत राहों में तुम मत भटको।
नन्हा सा हूँ बड़े काम का,
गुणगान करते सब मेरे नाम का।
मेरी खूबी है अनेक
टेलीग्राम उनमें एक।
मेसेंजर सबको खूब है भाता,
व्हाट्सएप में समूह बनाता।
फेसबुक पर सब से जुड़कर,
अपनी लाइक को बढ़ाता।
एस एम एस से संवाद पहुँचाता,
सबको भाता, सबको हर्षाता।
नन्हा सा हूँ बड़े काम का,
गुणगान करते सब मेरे नाम का।
मेरी उपयोगिता बढ़ गई है,
एस ओ एम चल पड़ी है।
दीक्षा से शिक्षक हो रहे प्रशिक्षित,
बच्चे ऑनलाइन हो रहे हैं शिक्षित।
मेरी श्रेष्ठता का पहचान कर,
अच्छाई अपना, बुराई छोड़कर।
नन्हा सा हूँ बड़े काम का,
गुणगान करते सब मेरे नाम का।
स्वरचित और मौलिक रचना
अनुज कुमार वर्मा
मध्य विद्यालय बेलवा कटिहार