युवापराक्रम- संजय कुमार

उठो,जागो और आगे बढ़ो विवेकानंद जी का ये नारा, शून्य की सर्वश्रेष्ठ व्याख्या कर बनें विश्व की आँखों का तारा। तर्क अनेकों दिए उन्होंने करता हूँ मैं उनको नमन, जीत…

मनहरण घनाक्षरी- देव कांत मिश्र ‘दिव्य’

विधा: मनहरण घनाक्षरी राष्ट्र के हैं दिव्य लाल, सौम्य तन उच्च भाल, ज्ञान बुद्धि प्रेम के वे, निर्मल स्वरूप हैं। बाल्य नाम नरेन्द्र है, कर्मयोगी नृपेन्द्र है, देशभक्ति धर्म हेतु,…

श्रीराम राज्याभिषेक- जैनेन्द्र प्रसाद रवि’

मनहरण घनाक्षरी छंद सफल हों सारे काज, राम होंगे युवराज, राजदरबार संग, हर्षित समाज है। बड़े-बड़े भूप आए, भेंट उपहार लाए, अयोध्या में अब भाई, होगा रामराज है। पुलकित महतारी,…

भारत की बिन्दी-विनय विश्वा

मैं हिन्दी हूं जननी जन्मभूमि मातृभाषा हूं खड़ी बोली खड़ी होकर मर्यादित,अविचल‌ आधार हूं मैं भारत की श्रृंगार हूं। इतिहास से लेकर अब तक मैं सिंध से हिन्द, हिन्दी कहलाई…

देश है एक-दीपा वर्मा

देश है एक, भाषाएँ अनेक। जिसमें हिंदी है एक, मातृ भाषा कहलाती है। देश प्रेम दर्शाती है, अभिव्यक्ति का मुख्य साधन है, भाषाओं की जननी है। मन की बात तुरंत…

शान है “हिंदी” -डॉ अनुपमा श्रीवास्तवा

जान है हिन्द जुबान है हिंदी प्यारे वतन की “शान” है हिंदी , शब्द-कोश की सबसे सुन्दर “मातृभाषा” का नाम है हिंदी । पूज्य है जितनी जन्मभूमि उतनी ही प्यारी…