जालिम सर्दी-मीरा सिंह

आयी जब से जालिम सर्दी सबका जीना मुश्किल कर दी। छाया है चहुंओर कुहासा देखो सर्दी की बेदर्दी। सन सन करती पछुआ हवाएं कांप रही है पूरी धरती। मौसम लगता…

मित्रता की सार्थकता-सुरेश कुमार गौरव

जब जीवन में मिलते हैं सच्चे और अच्छे मित्र मन मस्तिष्क में उभरते हैं सार्थक जीवन चित्र! मित्र है वह जो हमारे अतीत काल को जानता है हमारे भविष्य में…

बाल गीत – नीलिमा कुमारी

खेलोगे कूदोगे होगे खराब। पढ़ोगे लिखोगे होगे नबाब। अब यह बात पुरानी है। लिखनी नयी कहानी है। अब खेलों की बारी है। रूकना मत कोशिश जारी है। खेल खेल में…

हालात से मजबूर- जैनेन्द्र प्रसाद रवि

जीवन के कई रंग, लोग यहां लड़ें जंग, ठंड से ठिठुरे, नहीं चादर है पास में। कोई नहीं देखे अभी, दरवाजे बंद सभी, गली में भिखारी खड़ा- भोजन की आस…

अतुल्य टीका- सुरेश कुमार गौरव

सदियों पूर्व की गई अपने यहां “टीकाओं” की अनूठी शुरुआत एक से बढ़कर एक हुए विद्वजन किए अद्भुत संस्कृति की शुरुआत। अपने देश की कई परंपराएं भी हैं बेहद अर्थपूर्ण…

बाल मन- जैनेन्द्र प्रसाद रवि’

बिस्किट मिठाई केक, नौनिहालों को भाते हैं, जहाँ हों खिलौने-टॉफी, आंखें उसी ओर हैं। कोई भी मौसम रहे, खुशियों की बाँह गहें, गली से चौबारे गूंजे, बच्चों की ही शोर…

जंगल में विद्यालय- रणजीत कुशवाहा

शिक्षा बना बाजारवाद का आलय। जंगल में खुला ग्लोबल विद्यालय।। जब जंगल में विद्यालय खुला। प्रचार प्रसार खुब जमके हुआ।। उत्साहित थे सभी जानवर। नाम लिखाये सब जमकर।। महंगी फीस…