ये उड़ान अभी बौनी है मुझे ऊपर बहुत ही जाना है। ये थकान अभी थोड़ी है मुझे अन्त समय तक निभाना है। आसमान को छूने की तमन्ना नही दिल में…
मामा – शेखर कुमार सुमन
मामा देखो मेरे मामा आए, साथ अपने आम लाए | लीची भी वो लाते है, रसगुल्ले खूब खिलाते है | जब मम्मी गुस्साती है, मुझे मारने आती है | पापा…
जगमग जोत जले – मनु कुमारी
जगमग जोत जले। सत्य का दीप ,प्रेम का बाती, हर घट जोत जले। ईर्ष्या द्वेश का भाव ना आए, मैत्री भाव पले। असत्य जगत का मोह दूर हो, सत्य की…
शब्दों के बंधन -कंचन प्रभा
समन्दर से दूर जा के कभी शंख नही मिलते बंधन से एहसासों को कभी पंख नही मिलते अपने एहसासों मे खुल कर नहाने के लिये पँछी रुपी तन को हवाओं…
कैसी हो मेरी संकुल की पाठशाला – अरविंद कुमार अमर
कैसी हो मेरी संकुल की पाठशाला, मन में यह प्रश्न कोंध रहा है? कैसी हो मेरी संकुल की पाठशाला। सजा -सजाया सुन्दर उपवन, नूतन निर्मल हो हर माला, ञ्यान मधू…
योग दिवस समारोह – अरविंद कुमार अमर
योग करें हम योग करें दूर सभी हम रोग करें, यह वरदान मिला जो हमको, इसका हम सदुपयोग करें । सुबह-सबेरे उठ जाना है आलस दूर भगाना है, तन-मन स्वस्थ…
मिट्टी से शीशे का सफर – कंचन प्रभा
आज युग कितना बदल गया है दीये की लौ बल्ब बन गई कभी हम पढ़ते थे लालटेन में लालटेन की लौ कल बन गई तरह तरह के बल्ब अब मिलने…
वहीं है कबीर – दया शंकर गुप्ता
जो निंदक को पास बिठाता है, जो अपना घर स्वयं जलाता है, जो पत्थर को पूज्य बताता है, जो खुदा को बहरा बुलाता है, इस अंधविश्वासी समाज में भी, जिसका…
आँगन के फूल – जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
जग के आंखों के हैं तारे ये आँगन के फूल हमारे, इनके आगे फीका लगता है नील गगन के चांद सितारे। बच्चे होते हैं तितली जैसे इनकी शोभा होती न्यारी,…
दिवाली –
ईर्ष्या द्वेष का जो चारो ओर डेरा है, नफरतों का दिल में देखो बसेरा है, एक दूसरे से आगे निकलने के लिए, द्वंद चलता ये तेरा और ये मेरा है।…