जिंदगी अब ऑनलाइन बनकर रह गई-मंजू रावत

जिंदगी अब ऑनलाइन बनकर रह गई जिंदगी अब ऑनलाइन बनकर रह गई, स्वतंत्र रूप से उड़ने वाले, चारों ओर घूमने वाले, घरों में कैद होकर रह गए, जिंदगी अब ऑनलाइन…

वेद की ओर लौटें-कुमारी निरुपमा

वेद की ओर लौटें वेद है ईश्वर की वाणी ऋचा अध्ययन करते ज्ञानी, वेद अपौरुषेय कहलाता परब्रह्म वेदों के रचयिता। वेदों को श्रुति हैं कहते मुख से सुनकर याद रखते…

पैसे पेड़ पर नहीं उगते-धीरज कुमार

पैसे पेड़ पर नहीं उगते ये दुनिया ईश्वर की रचना। फल-फूल पेड़ पर है उगते।। पैसे-रुपए है मानव की रचना। पैसे पेड़ पर नहीं उगते।। बहुत मेहनत करो और कड़ी…

उम्मीदें-प्रियंका दुबे

उम्मीदें स्वप्निल रजनी के देश में देखे जो ख्वाब, उसे पूरा कर लेंगे आज, अगर चलते रहे यूं ही कर्मठता से कर्म के पतवार, जरूर होगी ख्वाबों की निर्झरनी पार,…

नशा-नीभा सिंह

नशा बीड़ी, सिगरेट नहीं तुम पीना न खाना तुम गुटका, कसम खाओ नहीं करोगे किसी तरह का नशा। अगर कोई तुमको उकसाए नहीं मानना बात, झटसे उसको कह देना नहीं…