पापा खयालों में भी सबका खयाल वो हर वक्त रखते हर दर्द सहकर भी होठों पर मुस्कान सदा रखते! ऐसे होते हैं पापा। परिवार में बड़े वृक्ष के जैसा सबका…
मेरे पापा-ब्रम्हाकुमारी मधुमिता
मेरे पापा मेरी हर खुशी में मुस्कुराते मेरे हर गम में, ढांढस बढ़ाते मेरे पापा मुझे कभी पीटी उषा, तो कभी सुनीता विलियम्स बनाते मेरे पापा मेरे आंसुओं के बहने…
पिता-ब्यूटी कुमारी
पिता पिता राही, पिता रक्षक पिता पथ प्रदर्शक है। पिता सागर, पिता पर्वत पिता धरती और गगन है। पिता सूर्य, पिता किरण पिता वृक्ष और छाया है। पिता शिक्षा, पिता…
सतरंगी प्रकृति-लवली वर्मा
सतरंगी प्रकृति रंगों से भरी है प्रकृति, मनभावन सुंदर अति। नीले नभ में उड़ते खग, कर देते हैं हमें स्तब्ध। पेड़ों की पत्तियां हरी, टहनियों संग जोड़े कड़ी। रंग-बिरंगे…
Save your life-Vijay Singh Neelkantha
Save your life Save your life save your life of own children and of wife Remain indoor leave outdoor Spend with family happy life. Follow the rules of lockfdown Is…
कौतूहल भरा वो दिन-विवेक कुमार
कौतूहल भरा वो दिन वात्सल्य प्रेम की गोद में पला, अंजाना अज्ञानता से भरा अबोध बालक। मां की ममता पिता का प्यार, अनछुई अनकही अबूझ पहेली सी, सभी का प्यारा…
सीखना जैसे जीना-गिरिधर कुमार
सीखना जीना जैसे सतत अविरल चलते रहना सबक यह पूरा नहीं होता यह रास्ते खत्म नहीं होते कभी यही सौंदर्य अद्वितीयता भी यही अधूरा और पूरे के बीच की समतल और…
पथिक-दिलीप कुमार गुप्त
पथिक कंटक निर्जन राह से बचकर निष्कंटक मार्ग चलना होगा असत्य की भीड़ से पृथक सत्य संबल अपनाना होगा। पथिक! जीवन पथ सुगम होगा। अपेक्षाओं से दूर निकल कर वर्जनाओं…
यादों का वातायन-दिलीप कुमार चौधरी
यादों का वातायन जब आता है आम का मौसम याद आता है मुझे अपना गाँव। हरे-भरे, सुहाने खेत-खलिहान और पेड़ों की वो घनेरी छाँव। यादों के वातायन से आज झाँक…
मोबाईल की दुनियां-सुरेश कुमार गौरव
मोबाईल की दुनियां कल तक अपनी कलम से, लिखावट की बाते थीं! डाक से अपनों को पत्रादि, भेजने की आदतें थीं!! अब जब इस मोबाइल तीव्रतम का, आया जमाना! नई…