उन्मुक्त गगन श्रृष्टि के सभी प्राणियों को भाता है स्वतंत्र रहना, पशु हो या पक्षी सभी चाहते हैं उन्मुक्त गगन में रहना। इसलिए तुम, उड़ लेने दो बेटियों को भी…
वृक्ष लगाओ-मधु कुमारी
वृक्ष लगाओ वृक्ष लगाओ, वृक्ष लगाओ जीवन अस्तित्व के लिए ऑक्सीजन के श्रोत बढाओ पर्यावरण को ही नहीं अपितु मानव अस्तित्व को बचाओ इसलिए वृक्ष लगाओ। धरती को सुंदर दुल्हन…
कोरोना का संकेत-लवली कुमारी
कोरोना का संकेत हाहाकार मचा है दुनिया में मेरे नाम का खौफ डर-डर कर जी रहे सभी बंद हो गया है मौज। कोरोना-कोरोना-कोरोना अब तो मुझे ही है सोचना मत…
राष्ट्रवादी कवि सोहन लाल द्विवेदी-कुमकुम कुमारी
राष्ट्रवादी कवि सोहन लाल द्विवेदी माँ सरस्वती के चरणों में, झुककर मैं वन्दन करूँ। मेरी लेखनी को शक्ति दो, माँ तुमसे यही अर्चन करूँ। राष्ट्रवादी कवि सोहन जी का, मैं…
रुमाल-लवली वर्मा
रुमाल एक चीज़ बड़ी कमाल, नाम इसका है रुमाल। कपड़े का टुकड़ा चौकोर, जेब-पर्स में रखते लोग। उद्देश्य एक व्यक्तिगत सफाई, हाथ, चेहरे या नाक की पोंछाई। आता जब है…
मजदूर-जैनेन्द्र प्रसाद रवि
मजदूर सुख और सुविधा से जो कोसों रहते दूर हैं। ग़रीबी की चक्की में पिसते दुनिया में मजदूर हैं।। अपने नाजुक कंधों पर दुनिया की बोझ उठाते हैं, दिनभर की…
कोरोना से जंग जीत लेंगे हम-शफ़क़ फातमा
कोरोना से जंग जीत लेंगे हम हर तरफ है तबाही छाई ये कैसी देश में बीमारी आई हर चेहरे पर दिख रहा है ग़म ऐसे में जाएं तो जाएं कहाँ…
ज्योतिर्मय चिंतन-दिलीप कुमार गुप्त
ज्योतिर्मय चिंतन साँसों संग युद्धरत जीवन चहुं ओर कराहती दुनिया गमगीन शोर नियति संग संघर्षरत जिन्दगी हौसले के बल मिलती संजीवनी। छायी चतुर्दिक विपदा भारी परस्पर सहयोग की है तैयारी…
कोरोना कविता और कवि-गिरिधर कुमार
कोरोना कविता और कवि लिख रहा हूं कविता, झांकता है कोरोना ठीक सामने की खिड़की से… अट्टहास करता है वो परिहास के स्वर हैं उसके कवि! भोले कवि तुम्हारी कविता…
प्रभात-देव कांत मिश्र ‘दिव्य’
प्रभात हम प्रभात की दिव्य किरण बन जग को राह दिखाएँगे। वसुधा कलियाँ नई खिलाकर महक सदा बिखराएँगे।। तिमिर सदा ही दूर भगाकर जीवन सुमन खिलाएँगे। कदम-कदम पर खुशियाँ देकर…