चलते हैं सब धारा के संग-संग धारा के विपरीत चलना सीखो। दिवा में जब हम सोते हैं , आँख खुले तो नया दिवस है दिवस हर नया कुछ सिखलाता है।…
कचरा प्रबंधन -मधु
कचरे को इधर-उधर ना फेको भाई, इसमें है सारे जग की भलाई। कूड़ा को कूड़ेदान में डालो, चारों ओर न गंदगी फैलाओ। दो कूड़ेदान देख हम सभी हैरान, दो रंगों…
चूहे की बारात-जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
घर से निकले चूहे राजा, ले के हाथी और बैंड बाजा। नई शेरवानी लंबा कुर्ता, पहन पतलून, टोपी जूता। घोड़े पर वह हुआ सवार, चले बाराती भर कर कार। मन…
पापा की परी- मीरा सिंह “मीरा”
तुफानों से लड़ी हूं मैं मुश्किल से कब डरी हूं मैं। लहरों की मैं करूं सवारी हिम्मत बल से भरी हूं मैं।। अम्मा की हूं सोन चिरैया अपने पापा की…
पार्थ- एस.के.पूनम
हे आचार्य तुम ही पार्थ हो” हे पार्थ!तेरा कर्मभूमि विद्यालय है, हे आचार्य!रणभूमि भी शिक्षालय है, लेखनी और किताबें तेरा अस्त्रशस्त्र है, तो फिर तुम्हें किस बात का भय है।…
सुखाड़ -जय कृष्णा पासवान
गगन मस्तक पर ना ओश की बूंदे। ” घटा की गर्जना ना करे पुकार ” मेंढक झुंझुर सब बिछुप्त पड़ गये ,सावन बन गए जेठ आषाढ़।। अब की महंगाई बना…
प्रभाती पुष्प- जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
मनहरण घनाक्षरी ****** लाखों मनुहार करें, कितना भी प्यार करें, पिंजरे में बंद पक्षी खुश नहीं दिखता । समय प्रभात रहे, दिन याकि रात रहे, हमें जाग जाने पर चोर…
मैं पथ का निर्भिक राही- कंचन प्रभा
पथ के राही चले बेफिक्र मंजिले दूर हो रास्ते कठिन हो पथरीली डगर हो काँटे बिछे हो चलना है बस चलते जाना रुकना नहीं है मेरा काम मै हूँ पथ…
डूबते को सहारा- विनय विश्वा
डूबते को सहारा ये सिखाती है पानी की धारा कभी पतवार बन कभी सवार बन। उगते को सब सलाम करते हैं आज डूबते को भी पूजा गया इस आशा के…
लोकआस्था- रूचिका
लोकआस्था और भक्ति भाव लेकर ह्रदय में, विश्वास और समर्पण लेकर हर मन में, ऊँच नीच,अमीर गरीब का भेद भुलाकर, जाति-पाँति को छोड़ सब संग चल पड़े साधना का अर्घ्य…