कोरोना कविता और कवि-गिरिधर कुमार

कोरोना कविता और कवि लिख रहा हूं कविता, झांकता है कोरोना ठीक सामने की खिड़की से… अट्टहास करता है वो परिहास के स्वर हैं उसके कवि! भोले कवि तुम्हारी कविता…

प्रभात-देव कांत मिश्र ‘दिव्य’

प्रभात हम प्रभात की दिव्य किरण बन जग को राह दिखाएँगे। वसुधा कलियाँ नई खिलाकर महक सदा बिखराएँगे।। तिमिर सदा ही दूर भगाकर जीवन सुमन खिलाएँगे। कदम-कदम पर खुशियाँ देकर…

जीवन का संघर्ष-भवानंद सिंह

जीवन का संघर्ष  बदहवास सी हो गई है जिन्दगी गुमसुम सा रहना तन्हाई में सिसकियाँ लेना, लगता है ऐसे मानो परिस्थितियों के हाथों गुलाम सी हो गई है जिन्दगी। कर…

स्कूल ऑन मोबाईल-गौरव कुमार

स्कूल ऑन मोबाईल  देखो कैसी घड़ी है आई! चारों तरफ है तबाही छाई!! प्रकृति ने अपनी ताकत दिखलाई! सबको उसकी औकात बतलाई!! कोरोना ने हम सबको एक बात सिखाई! साफ-सफाई…

पर्यावरण-अशोक कुमार

पर्यावरण पृथ्वी वीरान पड़ी, विकट समस्या खड़ी। स्वयं एक एक पेड़, आप भी लगाइए।। पेड़ों की कटाई रोकें, बर्षा इसी से होखें। फल फूल हमें देवें, इसे तो बचाइए।। मिट्टी…