दोहावली- देव कांत मिश्र ‘दिव्य’

पावन शुचिमय भाव रख, रचें नवल संसार। दे सबको नव वर्ष शुभ, खुशियों का उपहार।। द्वेष पुराना भूलकर, करिए नेक विचार। स्वागत हो नव वर्ष का, लेकर खुशी अपार।। खुशियाँ…

प्रेम उपहार-जैनेन्द्र प्रसाद रवि’

मनहरण घनाक्षरी छंद सबकी बनाए भाल चौबीस का नया साल, साथियों के लिए लाए, खुशियां अपार है। आप सभी छोटे बड़े रहते हैं साथ खड़े, आपकी दुआएं हमें, दिल से…

दोहावली – देव कांत मिश्र ‘दिव्य’

शीत मास में हम सभी, रखें गात का ध्यान। स्वस्थ देह सद्कर्म ही, सुखद शांति संज्ञान।। दस्तक दी है शीत ने, ओढ़ रजाई प्रीति। हों सेवन रवि-रश्मि का, यही सुखद…

झूठी शान – जैनेन्द्र प्रसाद रवि’

जब कोई बेसहारा पाता हो सहारा नहीं, दिखावे को महलों में रखते हैं बाँध स्वान। सोने हेतु काफी होता दो गज जमीन जब, क्या फायदा रहने को, भवन हो आलिशान?…

पढ़ें -लिखे को मुर्ख बनाता है – नीतू रानी

विषय -अनपढ हुकूमत करता है। शीर्षक – पढ़ें -लिखे को मुर्ख बनाता है। अनपढ़ हुकूमत करता है, पढ़े-लिखे को बेवकूफ बनाता है । सोचता है हम हैं बहुत पढ़े उसी…