गृह लक्ष्मी पत्नी – राम किशोर पाठक

Ram Kishore Pathak

गृह लक्ष्मी पत्नी – कुंडलिया

लक्ष्मी है पत्नी सदा, सुखकारी लो जान।
जिसको मैंने वर लिया, रखती सबका ध्यान।।
रखती सबका ध्यान, वही लक्ष्मी है घर की।
मेरा यह वरदान, नहीं पाऊँ अब कड़की।।
उससे पैसे माँग, करूँ मैं सबको जख्मी।
पीहर उसका आज, नहीं कह पाएँ लक्ष्मी।।०१।।

पत्नी मनभावन रहे, जब-तक रहती मौन।
ज्यों ही निज मुख खोलती, मैं हो जाता गौन।।
मैं हो जाता गौन, पड़ा उलटा है पाशा।
छिड़ जाता है युद्ध, नहीं फिर कोई आशा।।
किसको दूँ मैं दोष, सुनें क्यों कोई कथनी।
रखा बनाकर चाँद, सदा तुम अपनी पत्नी।।०२।।

रचयिता:- राम किशोर पाठक
प्रधान शिक्षक
प्राथमिक विद्यालय कालीगंज उत्तर टोला, बिहटा, पटना, बिहार।
संपर्क – 9835232978

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