माता-पिता की न सेवा किया
न दिया उनको कभी सम्मान,
कुछ नहीं होगा जाकर गया
उनके लिए देने से पिंडदान।
जिंदा में उनको दिया
गाली, धक्के की सौगात,
मरने के समय में उनको
खिलाने जाते हो दूध भात।
माता-पिता दोनों मिलकर
संभाल लेते पूरे परिवार,
चार पुत्र को दो माता-पिता
हो जाते सर पर के भार।
माता-पिता बहुत प्यार से रखते
बच्चों को दिल से लगाय,
वही माता- पिता को बहू- बेटे कहता
तुम दोनों खाते हो मेरी कमाय।
माता-पिता को कभी समय पर
दिया नहीं भोजन और आराम,
बुढ़ापे में उनको गाली देकर
करवाया उन दोनों से काम ।
माता-पिता और गुरुओं से
नहीं लिया कभी आशीर्वाद,
पत्नी के मोह- माया में किया
जीवन अपना बरबाद।
माता-पिता की सेवा करना
दिल को मिलेगा आनंद,
सुखी रहेगा परिवार तेरा
तभी मिलेंगे परमानंद।
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नीतू रानी
स्कूल -म०वि० रहमत नगर
सदर मुख्यालय पूर्णियाँ बिहार
