राखी-प्रभात रमण

राखी

राखी का बंधन ना बंधे
तो क्या राखी का त्योहार नही ?
है जिस भाई की बहन नहीं
क्या उसे है रक्षा का अधिकार नही ?
पूछो उस भाई की हालत
जिसकी सूनी कलाई है
कैसे मनाए रक्षाबंधन
जो बिना बहन का भाई है ?
अब,
नयनों का नीर सुखाना होगा
मन को भी समझाना होगा
कलाई का धागा तो
एक बहन का होता है
पर जिन हाथों पर धागा नहीं
उसे सबको बहन बनाना होगा
सबको यह बतलाना होगा
धागा है ये व्यापार नही
बिन धागों के भी होता प्यार वही
अपनी सगी बहन है तो क्या
औरों के रक्षा का अधिकार नहीं ?
गर सबको हम अपना जाने
हर बेटी को अपनी बहन माने
स्वयं को सबका भाई माने
सबकी रक्षा का प्रण ठाने
तो,
फिर ना सूनी कलाई होगी
ना जीवन में फिर खाई होगी
ना दुखों की परछाई होगी
ना त्योहारों में तन्हाई होगी
ना रावण सीता हर ले जाएगा
ना दुःशाशन हाथ बढ़ा पाएगा
हर द्रौपदी का कन्हाई होगा
हर राखी का कलाई होगा
हर बहन का भाई होगा ।।
हर बहन का भाई होगा ।।

प्रभात रमण
मध्य विद्यालय किरकिचिया
प्रखण्ड – फारबिसगंज
जिला – अररिया

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