नेता के उपनाम- कहमुकरी
इर्द-गिर्द मँडराते रहता।
जुल्म-सितम सहने को कहता।।
नखरा भी करता है प्रत्यक्ष।
क्या सखि? साजन! न सखि! अध्यक्ष।।०१
बहलाता फुसलाता हमको।
सपने खूब दिखाता हमको।।
कहता मैं हूॅं तेरे लायक।
क्या सखि? साजन। न सखी! नायक।।०२
सुख सुविधाओं का वह भोगी।
कहता मुझको हर सुख होगी।।
हमको समझा सदा नादान।
क्या सखि? साजन। न सखी! प्रधान।।०३
चमक दमक रहता दिखलाता।
मुर्गे सा वह नाच नचाता।।
उसको देख याद हो फगुआ।
क्या सखि? साजन। न सखी! अगुआ।।०४
उससे रहती आश लगाए।
हमको उल्लू वही बनाए।।
वह रौबदार है असरदार।
क्या सखि? साजन। न सखि! सरदार।।०५
रचयिता:- राम किशोर पाठक
प्रधान शिक्षक
प्राथमिक विद्यालय कालीगंज उत्तर टोला, बिहटा, पटना, बिहार।
संपर्क – 9835232978
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