पायल से मन, डोल रहा- वासुदेव छंद गीत
मन ही मन कुछ, बोल रहा।
पायल से मन, डोल रहा।।
करती छन-छन, हर-पल है।
होती तन-मन, हलचल है।।
कानों में रस, घोल रहा।
पायल से मन, डोल रहा।।०१।।
भ्रमित हुए हम, अगर कहीं।
भूल गए गम, खबर नहीं।।
कोई चितवन, खोल रहा।
पायल से मन, डोल रहा।।०२।।
व्याकुल होकर, दौड़ पड़े।
नैन मींचकर, ठौर अड़े।।
अपनी हालत, तोल रहा।
पायल से मन, डोल रहा।।०३।।
गीतकार:- राम किशोर पाठक
प्रधान शिक्षक
प्राथमिक विद्यालय कालीगंज उत्तर टोला, बिहटा, पटना, बिहार।
संपर्क – 9835232978
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