सबल प्रेरणा
हिन्दी
हिंदी
भाषा हर भाषा से पहचान कराती
है,
अक्षर–अक्षर,
शब्द–शब्द
में अनुपम प्यार लुटाती है।
माँ
के मुख से लोरी बनकर, शिशु
कर्ण तक जाती है,
तोतली
बोली मिश्री जैसी, मधु
तान सुनाती है,
इस
भाषा की मधुर तान ,राष्ट्र
को महकाती है ।
अक्षर–
अक्षर,
शब्द–शब्द
में अनुपम प्यार लुटाती है।
संस्कारों
से सुसज्जित है, भारत–भाल
की बिंदी,
विस्तीर्ण
भाव व उद्गारों की, सबल
प्रेरणा हिंदी,
हिंदी
देश का अनुपम गौरव हिंदी हमें
बताती है।
अक्षर–
अक्षर,
शब्द–शब्द
में अनुपम प्यार लुटाती है।
तन–
मन से अभिनंदन
है, जन–मन
की अभिलाषा का,
हृदय
से हैं वंदना, आराधन
अपनी भाषा का,
श्रद्धा–भक्ति
से जुड़कर जो प्रार्थना बन
जाती है।
अक्षर–
अक्षर,
शब्द–
शब्द में अनुपम
प्यार लुटाती है।
सहज,
सरल,
स्वाभाविक
है, सुंदर
कोमल यह भाषा,
हर
भाषा का मर्म सिखाती,
शिक्षा की है
परिभाषा,
पढ़
–लिखकर
गुणवान बनें ,अच्छाई
विकसाती है।
अक्षर–
अक्षर,
शब्द–शब्द
में अनुपम प्यार लुटाती है।
– रत्ना
प्रिया – शिक्षिका
(11 – 12)
उच्च
माध्यमिक विद्यालय माधोपुर
चंडी
,नालंदा
