चित्र चिंतन-आँचल शरण

चित्र चिंतन ए स्वप्न परी क्या सोच रही है यूँ काली अंधेरी रातों में?  क्या लुप्त हो गया जो ढुूंढ रही हो इस तारों से घिरी नीली अम्बर की अंधियारों…