शरद ऋतु का दस्तक -जैनेंद्र प्रसाद रवि

शरद् ऋतु का दस्तक अंधकार छंटते हीं, रवि की सवारी आया, बैठ तरु डाल पर, करते परिंदे शोर। पछियाँ जो समूह में, कोलाहल कर रहे, अचानक झुंड बना, उड़ते गगन…

प्रभु की महानता – जैनेंद्र प्रसाद रवि

पहाड़ों में हरियाली, मेहंदी फूलों में लाली, कलियों में सुगंध है प्रभु की महानता। चीनी की मिठास में हैं,भोजन व प्यास में हैं, जिसने भी स्वाद चखा,वह उन्हें मानता। तिनका…

पूर्वजों को श्रद्धांजलि – जैनेंद्र प्रसाद रवि’

पूर्वजों को श्रद्धांजलि जिनके बांहों में झूले, छाया पा के गम भूले, जीवन में फले-फूले, उनके आशीष से। भरपूर प्यार दिया, हमको संस्कार दिया, मिलती मंजिल नहीं, केवल कोशिश से।…