गौरव बिहार-जैनेन्द्र प्रसाद रवि 

गौरव बिहार जो गौतम की है तपोभूमि, जिसे महावीर का मिला प्यार। वह भारत का गौरव बिहार।। कोशी, कमला, बूढ़ी गंडक, इस धरती को पहुंचाती ठंडक। सदियों से है पावन…

गंगा-जैनेन्द्र प्रसाद रवि

गंगा स्वर्ग से धरती पर आई, जन-जन की पातक नाशिनी गंगा। विष्णु के चरणों से निकली, शिव जटा निवासिनी गंगा।। विष्णुपदी, सुरसरी, जाह्नवी, कहीं मंदाकिनी बन जाती है। विविध नामों…

भारत महान-जैनेन्द्र प्रसाद रवि

भारत महान हमारा भारत देश महान है, हमें तिरंगे पर अभिमान है। उत्तर में है खड़ा हिमालय, घर-घर मंदिर और शिवालय। तीन ओर से अंक में लेकर, सागर करता गुणगान…

टीओबी है दर्पण-जैनेन्द्र प्रसाद रवि 

टीओबी है दर्पण शुक्रिया अदा करूं कैसे, कोई शब्द नहीं है पास मेरे। जिनसे न कभी कोई रिश्ता था, वे परिचित हुए सभी ख़ास मेरे।। टीओबी ने ऐसा मंच दिया,…

मां की ममता-जैनेन्द्र प्रसाद रवि

मां की ममता मां की ममता सबसे न्यारी, अपनी संतान पर दुनिया वारी। भूख नहीं पर हमें खिलाती, खिलौने देकर हमें मनाती। पीछे-पीछे दौड़ी चली आती, हाथ में लेकर दूध…

पिता की चाहत-जैनेन्द्र प्रसाद रवि

पिता की चाहत जीवन का अभियान पिता का, बच्चे होते अरमान पिता का। तिनका तिनका जोड़ जुटाया, अपने सपनों का महल बनाया, उसमें बसती जान पिता का। ताकत से बढ़कर…

सर्दी- जैनेन्द्र प्रसाद रवि

सर्दी चुपके-चुपके आती सर्दी, सबको बहुत सताती सर्दी। अमीरों को यह ख़ूब है भाती, गरीबों को यह बहुत सताती। आग की थोड़ी गर्मी पाकर, छिपकर दुम दबाती सर्दी। अमीरों को…