मैं बगिया हूँ तू मेरी “कली” माँ “तरू” है तू उसकी डाली, बड़े प्यार से तुझको सींचा है वह धरा की है सुंदर माली। तू”खिलना” जितना जी चाहे मत…
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हे देश !
हे देश ! हे देश नमन मेरा तुझको तुमने मुझपर उपकार किया, माँ की ममता दी मिट्टी ने सरहद ने पिता का प्यार दिया। गंगा-यमुना सी बहनें दी एक समृद्ध…
जाओ न तुम दिसंबर-डॉ. अनुपमा श्रीवास्तवा
जाओ न तुम दिसंबर यूं न तुम जाओ दिसंबर, उदास है धरती और अंबर। मौन हैं चारों दिशाएं कांपती चल रही हवाएं। कोहरे का चादर ओढ़कर, उम्मीद सबका तोड़कर। मांगों…
शहीद ए आज़म भगत सिंह-डॉ. अनुपमा श्रीवास्तवा
था जिगर में हौसला कि सिंह” सा दहाड़ था, …
मेरी प्यारी हिंदी – डॉ.अनुपमा श्रीवास्तवा
मेरी प्यारी हिंदी “हिंद” देश के वासी हैं हम हिंदी हम सब की बोली है, “माँ”…
कारागृह की वेदना-डॉ. अनुपमा श्रीवास्तवा
कारागृह की वेदना करुण” क्रंदन से “कारागृह” कांप उठा वह कक्ष-निरीह, “काल” ने कैसा खेल रचा कोठरी में था हाहाकार मचा। मौन “कोठरी” सब…
तेरी बहना-डॉ अनुपमा श्रीवास्तवा
तेरी बहना रहे कहीं भी दूर तू मुझसे नेह का “रंग” धूमिल हो ना, तू तो है मेरे आँख का तारा मैं “परदेसी” हूँ बहना ! एक डाली के…
बचपन-डॉ. अनुपमा श्रीवास्तवा
बचपन चल मिलकर हम दोनो खेलें तू भागो, हम तुझको छू लें, चल घर से दूर “ओसारे” में खेलेंगे हम चौबारे में। आँख-मिचौली, डेंगा-पानी या कर ले कोई मनमानी चल…
वसुधा-डॉ.अनुपमा श्रीवास्तवा
वसुधा मैं “उसर” वसुधा थी जग में जबतक तूझे ना जन्म दिया, किया आबाद “कोख” को मेरे मुझको “माँ” का नाम दिया।। तरू, द्रुम, पेड़, वृक्ष और शाखी यहाँ शृष्टि…
अहंकार-डॉ. अनुपमा श्रीवास्तवा
अहंकार मिलती है इस धरती पर एक से एक निशानी, सुना है हमने हर युग में अहंकार की कहानी। सतयुग में नृप प्रजापति थे बहुत बड़े अभिमानी , बना लिया…