धन्य हैं सृजक धन्य टी.ओ.बी. धन्य हैं सृजक, धन्य टी.ओ.बी. जिसने इसे नया आयाम दिया। बुद्धि विवेक से सींच सींच कर पुष्पित पल्लवित काम किया।। सुभग पावन पुष्पहार लाकर इसको…
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मकर संक्रांति-देव कांत मिश्र ‘दिव्य’
मकर संक्रांति उत्तरायणी पर्व का, हुआ सुखद आगाज। ढोल नगाड़े बज रहे, होंगे मंगल काज।। सूरज नित अभिराम है, जीवन का आधार। देव रूप पूजे सदा, सारा ही संसार।।…
साथी हाथ बढ़ाना- देव कांत मिश्र दिव्य
साथी हाथ बढ़ाना मेरे साथी हाथ बढ़ाना गिरते हुए को तू उठाना। कर्म पथ से विचलित मनुज को सद्कर्म का मार्ग दिखाना।। मेरे साथी—— उर में भाव सदा हो पुष्पित…
प्यारा देश हमारा है-देव कांत मिश्र दिव्य
प्यारा देश हमारा है वसुधा से जो लगन लगाये, वही देश का प्यारा है। पावन भावन सरिता की नित, चमक रही जलधारा है।। राम, कृष्ण का जन्मस्थल यह, भारत देश…
गुरु महिमा-देव कांत मिश्र दिव्य
गुरू महिमा पान सुधा रस ज्ञान गुरु, इसे लीजिए जान। चाह ज्ञान की सब रखें, करें सदा सम्मान।। राग द्वेष रखते नहीं, नहीं मान अभिमान। समदर्शी रहते सदा, देते विद्या…
स्वर्ग सा सुन्दर धरा बनाएँ-देव कांत मिश्र दिव्य
स्वर्ग सा सुन्दर धरा बनाएँ धरा हमारी अति पुनीत है विचार मंगल औ सुनीत है। पावन मन को खूब सजाएँ स्वर्ग सा सुभग इसे बनाएंँ।। मिलकर ही विचार हम बोएँ…
नेहरू चाचा और बालमन-देव कांत मिश्र दिव्य
नेहरू चाचा और बालमन अमन शांति संदेशा लाकर बनाया भारत को अभिराम। इनको करें ही सदा सलाम बाल दिवस इनके ही नाम।। भाते मन को सबके चाचा औ हँसाते सबको…
मैं हूँ भारतवासी-देव कांत मिश्र दिव्य
मैं हूँ भारतवासी मैं हूँ भारतवासी प्रतिदिन, भारत का गुण गाऊँ। मातृभूमि से नेह लगाकर, इसका मान बढ़ाऊंँ।। निर्मल पावन बहती नदियाँ, मानव मन हर्षाती। आसमान में उड़ी तितलियाँ, सबका…
वाणी-देव कांत मिश्र दिव्य
वाणी वाणी मधुरिम नित ही बोलें हृदय तराजू इसको तोलें। बोल परिष्कृत सबको भाये जन-जन में ही तब यह छाये।। सरस बोल अनमोल खजाना जीवन में तुम इसे बचाना। कोयल…
सदाचार-देव कांत मिश्र दिव्य
सदाचार सदाचार का गुण अपनाएँ सच्ची पूँजी इसे बतलाएँ। अमित तोष आनंद बढ़ेगा जीवन मधुरिम और दिखेगा।। अमिय समान बहुत गुणकारी है आभूषण असली प्यारी। मीठे वचन सभी से बोलें…