उठो, जगा लो मन का दीपक, भर लो जीवन में स्नेह-रूपक। सपनों के पंखों से उड़कर, छू लो नभ का स्वर्ण-सुंदर। विश्वास बने हर पल साथी, नव आशाओं की हो…
SHARE WITH US
Share Your Story on
स्वरचित कविता का प्रकाशन
Recent Post
- जीवन और जल..गिरिंद्र मोहन झा
- योग दिवस..कार्तिक कुमार
- धन्यवाद टीचर्स ऑफ बिहार – एम० एस० हुसैन “कैमूरी”
- सर्द हवा-राम किशोर पाठक
- जमाने में – गजल – राम किशोर पाठक
- अनुराग सवैया – राम किशोर पाठक
- गिरीन्द्र मोहन झा
- जुआ-रामपाल प्रसाद सिंह ‘अनजान’
- छंद रचना को गहूँ-राम किशोर पाठक
- That one of the Worst feelings- Ashish Kumar Pathak