श्याम वंशीवाला सिर पे मुकुट मोर, गोपियों के चित्तचोर, होंठ लाले-लाल किये, खड़ा बंसी वाला है। कहते हैं ग्वाल-बाल, मित्र मेरा नंदलाल , कन्हैया की माता बड़े, नाजों से हीं…
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अँखियाँ भिगोने से- जैनेन्द्र प्रसाद ‘रवि’
मनहरण घनाक्षरी छंद कड़ी धूप खिलने से- परेशानी बढ़ जाती, मौसम बदल जाता, बरसात होने से। मजदूर किसानों की- मेहनत रंग लाती, फसलें उपजतीं खेतों में बीज बोने से। सुबह…
ठंड का प्रकोप- जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
पशु पक्षी सरीसर्प बैठे हैं दुबक कर, आज आधा भारत है शीत की आगोश में। कड़ाके की ठंडक से हाथ पैर जम रहा, हिम नर बनाने को प्रकृति है रोश…