बचपन अल्हड़ है, मदमस्त है आसमा, छूने की चाहत है। नदियों सी चंचल है पवन सी पागल है जानने को सबकुछ उत्कल है। आंखों में खुशी, होठों पे हंसी पल…
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नर और नारी एक समान-ब्रह्माकुमारी मधुमिता ‘सृष्टि’
नर और नारी एक समान आओ करें हम सृष्टि का सम्मान मिलकर बढायें एक दूजे का मान नर और नारी एकसमान परमात्मा के हैं हमसब संतान आओ करें उनकी महान…