लॉकडाऊन ओ साथिया मोरे गुरुवर नाहीं आयो, देखत-देखत उनकी असरवा अँखिया मोर पथरायो। ओ साथिया मोरे गुरुवर नाहीं आयो। “क” से कमलिया बऊवा बिसरायो, त्रिकोण-ज्यामिति केहु न समझायो, डिसटेंशन का…
SHARE WITH US
Share Your Story on
writers.teachersofbihar@gmail.com
Recent Post
- शरद पूर्णिमा- रामकिशोर पाठक
- शरद पूर्णिमा – रूचिका
- मनहरण घनाक्षरी- जैनेन्द्र प्रसाद ‘रवि’
- दोहावली- रामकिशोर पाठक
- सत्प्रवृत्ति के सोपान – अमरनाथ त्रिवेदी
- कहतीं रहीं अम्मा – स्नेहलता द्विवेदी ‘आर्या’
- देखो सानवी आई है – रामकिशोर पाठक
- चिड़िया रानी – रूचिका
- मम्मी दुनिया से निराली है – अमरनाथ त्रिवेदी
- मेरे राम- स्नेहलता द्विवेदी ‘आर्या’