राष्ट्रहित का भाव जगे मन अर्पण मेरा तन भी अर्पण राष्ट्र रक्षार्थ हो जाऊँ कण-कण प्राण जाए पर बोले ह्रदय तरंग मातृधरा का न हो पाए भंजन भाव यहीं जग…
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