शिष्य-जैनेन्द्र प्रसाद रवि

शिष्य विद्या, बुद्धि, धीरज, संयम जो जीवन में अपनाता है, वही गुरू का सर्वश्रेष्ठ शिष्य सदा कहलाता है। सूर्योदय से पहले जो अपनी शैय्या को छोड़े, काम-क्रोध, लोभ और ईर्ष्या…