साथी हाथ बढ़ाना- देव कांत मिश्र दिव्य

साथी हाथ बढ़ाना मेरे साथी हाथ बढ़ाना गिरते हुए को तू उठाना। कर्म पथ से विचलित मनुज को सद्कर्म का मार्ग दिखाना।। मेरे साथी—— उर में भाव सदा हो पुष्पित…