उत्पाती वर्षा – राम किशोर पाठक

Ram Kishor Pathak

उत्पाती वर्षा

वर्षा रानी क्रुद्ध हो, करती है उत्पात।
इंद्र साथ भी दे रहे, कर भीषण वज्रपात।।

बाहर खतरा है घना, छिपकर रहते लोग।
वही लाचार विवश हो, करते कुछ उद्योग।।

हान लाभ चिंता जहाँ, मानवता हो मूल।
जीवन रक्षा धर्म को, मत जाना तुम भूल।।

जहाँ सुरक्षित हैं अभी, वही ठहरिए आप।
बाहर निकले मत कहीं, बन सकता अभिशाप।।

वर्षा के उत्पात से, व्यथित सभी जन आज।
अफरातफरी मच रहा, बंद सभी है काज।।

बच्चे बाहर हो नहीं, इसका रखिए ध्यान।
मौसम है प्रतिकूल यह, देकर उनको ज्ञान।।

वर्षा रानी ले चुकी, लगता काली रूप।
रण कौशल को देखकर, असुर सभी थें कूप।।

जब-तक वर्षा क्रुद्ध है, कोई नहीं उपाय।
आओ बैठो पास में, पी लें थोड़ी चाय।।

रचयिता:- राम किशोर पाठक
प्रधान शिक्षक
प्राथमिक विद्यालय कालीगंज उत्तर टोला, बिहटा, पटना, बिहार।
संपर्क – 9835232978

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