आइए अब तो हमारे, साथ में कुछ बोलिए।
आप कर दो चार बातें, प्रेम रस को घोलिए।।
और नेकी है भला सा, आप जो पथ दे रहे।
शब्द गाथा का अकिंचन, भार भी है ले रहे।।
मानिए कहना हमारा, आप मेरे हो लिए।
आप कर दो चार बातें, प्रेम रस को घोलिए।।०१।।
कह रहा हूं सत्य शायद, आपका दिल साफ है।
नेह से हमको हमारे, कृत्य करना माफ है।।
तोलते क्यों बात ऐसे, आप बीती को लिए।
आप कर दो चार बातें, प्रेम रस को घोलिए।।०२।।
भावना को ध्यान रखकर, मान इतना लीजिए।
अंग सारे एक है बस, भान ऐसा कीजिए।।
सौम्यता के संग हर-पल, शब्द को मत तोलिए।
आप कर दो चार बातें, प्रेम रस को घोलिए।।०३।।
गीतकार:- राम किशोर पाठक
प्रधान शिक्षक
प्राथमिक विद्यालय कालीगंज उत्तर टोला, बिहटा, पटना, बिहार।
संपर्क -9835232978
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