देश का संविधान भारत के लोगों का है जरुरी विधान,
इससे ही होता है हम भारतीयों के सभी जरुरी निदान।
जब अंग्रेजी सत्ता वापस हुई तब देश स्वतंत्र हुआ,
फिर सन् उन्नीस सौ पचास में यह गणतंत्र हुआ।
संविधान निर्माता बाबा साहब भीमराव अंबेडकर,
करोड़ों दबे-कुचले लोगों का क्रमिक निदान कर।
इससे देश एक स्वतंत्र लोकतंत्रात्मक व्यवस्था पायी,
भारत को गणराज्य की उचित व्यवस्था है दिलायी।
चार रुपों कार्यपालिका, न्यायपालिका, विधायिका और
स्वतंत्र मीडिया लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है कहलायी।
हर भारतीय को नाज़ है भारत के संविधान पर,
इसके अंदर निहित वर्णित सभी प्रावधानों पर।
संविधान की “प्रस्तावना” है इसकी “आत्मा”,
जैसे लगता है, यह हम सब की है “परमात्मा”।
देश का संविधान भारत के लोग का है जरुरी विधान,
इससे ही होता है हम भारतीयों का जरुरी निदान।
सुरेश कुमार गौरव, शिक्षक , पटना (बिहार)
स्वरचित और मौलिक
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