एक अनोखी प्रेम कहानी- गीत- राम किशोर पाठक

एक अनोखी प्रेम कहानी- गीत

युग पुरुष एक ऐसा देखा, देखी जिसमें अलग रवानी।
आओ तुमको याद दिलाए, एक अनोखी प्रेम कहानी।।

गया गहलौर में जन्में थे, दशरथ मांझी गुमनाम रहें।
जान गयी अब उनको दुनिया, शैल पुरुष का उपनाम गहें।।
पर्वत में हीं राह बनाना, जिसकी बन गयी जिंदगानी।
आओ तुमको याद दिलाए, एक अनोखी प्रेम कहानी।।०१।।

प्यार अनूठा पत्नी से था, दुनिया वालों ने यह जाना।
राह रोककर पर्वत बैठा, जिसको काटें मन में ठाना।।
छेनी और हथौड़े जिसको, साल बाईस पड़ी चलानी।
आओ तुमको याद दिलाए, एक अनोखी प्रेम कहानी।।०२।।

जीवन साथी रही फगुनिया, चित में जिसका अंत गड़ा था।
पाँव फिसलना बना बहाना, अस्पताल भी दूर पड़ा था।।
पर्वत काटा राह बनाया, अद्भुत उनकी प्रेम निशानी।
आओ तुमको याद दिलाए, एक अनोखी प्रेम कहानी।।०३।।

भाग छठा है दूरी घटकर, सुगम हुआ है आना जाना।
एक अकेले दम पर जिसने, पर्वत को भी काट गिराया।।
सतत किया श्रम ऐसा देखो, दुनिया जिसकी हुई दिवानी।
आओ तुमको याद दिलाए, एक अनोखी प्रेम कहानी।।०४।।

पद्म विभूषित उनको करना, लगता बौना सम्मान जहाँ।
दृढ़ निश्चय दशरथ के जैसा, बोलो मिलता है आज कहाँ।।
“पाठक” करता नमन उन्हें है, चाहे जीवन गीत सुनानी।
आओ तुमको याद दिलाए, एक अनोखी प्रेम कहानी।।०५।।

गीतकार:- राम किशोर पाठक
प्रधान शिक्षक
प्राथमिक विद्यालय कालीगंज उत्तर टोला, बिहटा, पटना, बिहार।
संपर्क – 9835232978

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