कसक किसानों की – एस.के.पूनम

S K punam

🙏ऊँ कृष्णाय नमः🙏
विधा:-मनहरण घनाक्षरी
(कसक किसानों की)

लालिमा के संग जागे,
टोकरी उठाए भागे,
ढूंढ रहे फलियों में,श्रमदान महानों की।

पग धरे तप्त धरा,
सूख गए बाग हरा,
कृषक विलाप करे,चिंता है लगानो की।

कहलाता अन्नदाता,
भूख-प्यास नहीं भाता,
वस्त्र नहीं तन पर,दर्द है नदानो की।

पूनम की चाँदनी में,
प्रीत भरी चाशनी में,
स्मरण रखना बंधु,कसक किसानों की।

एस.के.पूनम

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