किसी ने कहा, तू मौन हो गया है ।
आजकल अपने आप में गौण हो गया है।।
लगता है तेरे दोस्त, तुझे छोड़ दिए।
तुमसे बातें करने वाले मुख मोड़ लिए ।।
मैने कहा तूने देखी नही ।
अभी भी अपने दोस्त के साथ हूं खड़ा ।।
देखो मेरे हाथ में पड़ी हुई किताब
जो मेरे साथ रहती है दिन – रात ।
प्रेम – पीड़ा आदी समझाती है मुझे ,
दुनिया भर की कहानी सुनाती है मुझे।।
इससे अच्छा भला कौन दोस्त होगा ।
जितना इसमें डूबोगे उतना ही अपना होगा ।।
साथ बैठे दोस्त किसी पल छोड़ जाते है ।
इसे जबतक ना छोड़ो तब तक साथ निभाते है।।
और रही सुनाने की बात तो ।
सम्पूर्ण क्षितिज पड़ा है इसमें ।।
जो चुपचाप मेरी बाते सुनते रहते है ।
न कभी उबते न कभी परिहास करते है ।।
वो अपना जबाब पुष्प ,पंछी, पवन, बादल, बना देते है ।
इससे अच्छा संवाद और कौन करते है ।।
अभिनव कुमार ( शिक्षक),
उत्क्रमित मध्य विद्यालय गोविंदपुर ,
रोसड़ा