गुरु से विनय – राम किशोर पाठक

Ram Kishor Pathak

गुरु से विनय- किशोर छंद गीत

हम-सब छोटे बालक पढ़ने, आएँ हैं।
गुरुवर लाख बुराई हममें, पाएँ हैं।।

सारे छोड़े काम अधूरा, जाने दें।
पुलकित रहता हृदय हमारा, गाने दें।।
बंद किए दरवाजे फिर क्यों, आने दें।
ज्ञान सुधा की मधुरिम धारा, पाने दें।।
आप सदा ही गुरुवर हमको, भाएँ हैं।
गुरुवर लाख बुराई हममें, पाएँ हैं।।०१।।

कहें आप जो पालन करना, भाता है।
अक्सर फिर भी दोष निकल ही, आता है।।
संग आप का पाकर मन भी, गाता है।
ईश्वर से बढ़कर गुरुवर का, नाता है।।
श्रद्धा के बस सुमन लिए हम, आएँ हैं।
गुरुवर लाख बुराई हममें, पाएँ हैं।।०२।।

कदम-कदम पर ठोकर हमने, खाया है।
राहों में भी घना अँधेरा, छाया है।।
प्रभा आपसे हमने हरपल, पाया है।
समझ रहा हूॅं आज परीक्षा, आया है।।
चरणों का अनुराग संग में, लाएँ हैं।
गुरुवर लाख बुराई हममें, पाएँ हैं।।०३।।

गीतकार:- राम किशोर पाठक
प्रधान शिक्षक
प्राथमिक विद्यालय कालीगंज उत्तर टोला, बिहटा, पटना, बिहार।

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