गुरू बिना ज्ञान
(शिक्षक दिवस पर विशेष)
रूप घनाक्षरी छंद में
ऋषि-मुनि या हों संत,
चाहे कोई भगवंत,
किसी को भी मिला नहीं, बिना गुरु कभी ज्ञान।
कभी हमें मारते हैं,
कभी फटकारते हैं,
फिर वे दुलारते हैं, माता-पिता के समान।
गुरु होते कुंभकार,
माटी का वो शिल्पकार,
विद्या बुद्धि ज्ञान द्वारा, बना देते हैं महान।
शिष्य को निखारते हैं,
जीवन संवारते हैं,
गुरु जैसा दुनिया में, देखा न मैंने इंसान।
जैनेन्द्र प्रसाद ‘रवि’
म.वि. बख्तियारपुर, पटना
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जीवन संवारते हैं,
गुरु जैसा दुनिया में, देखा न मैंने इंसान।
जैनेन्द्र प्रसाद ‘रवि’
म.वि. बख्तियारपुर, पटना
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