प्रभाती पुष्प
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मनहरण घनाक्षरी छंद
भोलेनाथ अंतर्यामी,
तीनों लोकों के है स्वामी,
लंबोदर माता शिवा-शरण में आइए।
भांग-भस्म, कंदमूल,
धतूरा के फल-फूल,
बेलपत्र गंगाजल, शिव को चढ़ाइए।
सिर ले चरण रज,
लोभ मोह दंभ तज,
तन मन धन सौंप, शंभू को मनाइए।
मनचाहा वर देंगे,
खुशियों से भर देंगे,
धर्म अर्थ काम मोक्ष चारो फल पाइए।
जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
म.वि. बख्तियारपुर, पटना
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